अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
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नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
शंकर हो check here संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
भगवान शिव की महिमा का बखान करने के लिए अनेकों अष्टकों की रचना हुई है, जिनमें शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक काफी प्रसिद्ध हैं, जिसमें शिवाष्टक का विशेष महत्व है।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥